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UPSC CSE Result 2023: तिरपाल के नीचे पढ़ मजदूर के बेटे पवन कुमार ने पास की UPSC परीक्षा, घर में उज्जवला गैस कनेक्शन पर सिलेंडर भरवाने के लिए पैसे नहीं, IAS अवनीश शरण ने पोस्ट कर कहा...

UPSC CSE Result 2023: यूपीएससी 2023 के जारी नतीजों में मनरेगा मजदूर माता-पिता के बेटे पवन कुमार ने 239 विनर रैंक हासिल की है। गरीबी के चलते पवन कुमार के घर लकड़ियां बिन चूल्हा जलाया जाता है। उनके घास पूस के घर की तस्वीर सोशल मीडिया में शेयर करते हुए छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अवनीश शरण ने उन्हें बधाई दी है।

UPSC CSE Result 2023: तिरपाल के नीचे पढ़ मजदूर के बेटे पवन कुमार ने पास की UPSC परीक्षा, घर में उज्जवला गैस कनेक्शन पर सिलेंडर भरवाने के लिए पैसे नहीं, IAS अवनीश शरण ने पोस्ट कर कहा...
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By Sandeep Kumar Kadukar

UPSC CSE Result 2023: बुलंदशहर। उत्तर प्रदेश के बुलंदपुर जिले के ऊंचागांव विकासखंड के रघुनाथपुर गांव निवासी 24 वर्षीय पवन कुमार ने यूपीएससी 2023 में 239 वीं रैंक लाकर सफलता की इबारत लिखी है। पवन कुमार का परिवार घर के नाम पर बांस बल्लियों के सहारे तिरपाल लगा कर रहता है। गरीबी का आलम इतना कि उज्ज्वला योजना का कनेक्शन तो मिला है पर सिलेंडर भरवाने के लिए रकम नहीं जुटा पाते। लकड़ियां बिन खाना बनाने वाले परिवार ने मजदूरी से पैसे जुटा एंड्रॉयड फोन मुकेश कुमार को दिलवाया था। पवन कुमार की सफलता पर छत्तीसगढ़ कैडर के 2009 बैच के आईएएस अवनीश शरण ने भी ट्वीट कर लिखा कि "मेहनती लोग अपना भविष्य ख़ुद लिखते हैं"।

यूपीएससी सिविल सेवा 2023 की जारी नतीजों में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के ऊंचागांव विकासखंड क्षेत्र के थाना नरसेना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम नरसेना निवासी पवन कुमार मुकेश कुमार के बेटे है। मुकेश कुमार और उनकी पत्नी सुमन मनरेगा मजदूर है। अब उनका बेटा आईएएस बनेगा। मुकेश की तीन बहने हैं इसमें सबसे बड़ी बहन गोल्डी बीए पास कर एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती है। दूसरी बहन सृष्टि बीए कर रही है जबकि छोटी बहन सोनिया कक्षा 12वीं की पढ़ाई कर रहा है। पवन कुमार के परिवार घर के नाम पर बांस– बल्लियों से टीके प्लास्टिक के तिरपाल के नीचे रहता है। उनके रहने की जगह पर पशु भी बंधे रहते हैं और घास काटने की मशीन भी लगी है। परिवार के पास चार एकड़ कृषि भूमि है। पर खेती से गुजर ना चलने के चलते पवन के माता-पिता मजदूरी करते हैं। पवन के घर में बिजली का कनेक्शन तो है पर आए दिन बिजली नहीं रहती। पढ़ने के लिए वे चिमनी जला कर पढ़ते हैं।

24 वर्षीयपवन ने कक्षा एक से कक्षा 8 तक की पढ़ाई अपने मामा गांव से की। उनका मामा गांव भी बुलंदशहर जिले में ही है। जो की पचगाई ब्लॉक ब्लॉक में स्थित ग्राम रूपवास है। आठवीं के बाद पवन का चयन नवोदय विद्यालय में हो गया। और उन्होंने नवी से 12वीं की पढ़ाई बुलंदशहर जिले के बुकलाना स्थित नवोदय विद्यालय से पूरी की। 2017 में 12वीं पास करने के बाद पवन ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एडमिशन ले लिया। यहां भूगोल और राजनीति शास्त्र से बीए पास करने के बाद यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली आ गए। परिवार ने किसी तरह पैसे जुटा पवन को दिल्ली भेजा। यहां मुखर्जी नगर में रहकर 2 साल तक कुछ विषयों की कोचिंग पवन ने की जबकि कुछ विषय उन्होंने वेबसाइट की मदद लेकर पढ़े। 2 साल बाद पवन दिल्ली से गांव आ गए और गांव में रहकर पूरी तैयारी की।

तीसरे प्रयास में मिली सफलता

तीसरे प्रयास में पवन ने सफलता हासिल की। पहले प्रयास में पवन का प्री तक क्लियर नहीं हो पाया। पर दूसरे प्रयास में वे साक्षात्कार तक पहुंचे पर एक नंबर से सिलेक्शन से चूक गए। अंततः तीसरे प्रयास में 239 रैंक लेकर चयन सूची में स्थान बनाने में कामयाब रहे।

उज्जवला कनेक्शन मिला, पर भरवाने के लिए रकम नहीं

बुलंदशहर जिले में उज्जवला गैस कनेक्शन बंटने के दौरान पवन के परिवार को भी गैस सिलेंडर आवंटित हुआ था। पर उसकी रिफिलिंग करवाने के लिए परिवार पैसे नहीं जुटा पाता है। मजदूरी करके परिवार जो भी पैसे कमाता था वो पवन के खर्चे के लिए दिल्ली भेज दिया करता था। खाना बनाने के लिए पवन की मां और बहनें जंगल में लकड़ी बिनने जाया करती थी। सिलेक्शन के बाद जब मीडिया की टीमें पवन के घर पहुंची तब भी उनकी मां लकड़ियां जला चूल्हे पर रोटियां बना रही थी।

3200 रुपए के फोन के लिए पूरे परिवार ने की मजदूरी

पवन को ऑनलाइन तैयारी के लिए एंड्राइड फोन की जरूरत थी। उनके परिवार ने 3200 रुपए में सेकंड हैंड मोबाइल फोन खरीद कर उन्हें दिया था। पवन के पिता मुकेश कुमार बताते हैं कि 3200 रूपये की रकम भी उनके लिए लाख रुपए से अधिक के समान थी। 3200 रुपए जुटाने के लिए पवन की मां बहनों व पिता को मजदूरी कर यह रकम जुटाना पड़ी थी। गांव में जब बिजली चली जाती थी तब पवन मोबाइल की लाइट के सहारे पढ़ाई करते थे क्योंकि कई बार चिमनी जलाने के लिए मिट्टी तेल खरीदने के लिए भी पैसा नहीं होता था।

पवन का परिवार अपने छप्पर की मरम्मत भी नहीं करवा पता था। उस पर लगने वाले लागत की रकम को भी पवन की पढ़ाई के लिए खर्च किया जाता था। जब हल्की बारिश होती थी तब भी छत से पानी टपकने लगता था तब पूरा परिवार रात भर एक साथ एक कोने में बैठा रहता था। पवन के पिता कहते हैं कि बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्हें सिलेंडर की जगह चूल्हे से काम चलाना पड़ता था।

परीक्षा में सफलता हासिल करने के बाद पवन कुमार ने कहा कि यह मेरा तीसरा प्रयास था। मेरी सफलता में मेरे परिवार का विशेष योगदान है। मेरे पापा, मां, बहन, मौसी, मामा का बहुत बड़ा योगदान रहा है।

छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अवनीश शरण ने की तारीफ

छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अवनीश शरण अक्सर सोशल मीडिया पर यूपीएससी की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को मोटिवेट करते रहते हैं। अवनीश शरण 2009 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस है और वर्तमान में बिलासपुर जिले के कलेक्टर हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पवन कुमार के घर का वीडियो शेयर करते हुए लिखा " पवन का घर, इन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में 239 वीं रैंक पाई हैं। अवनीश शरण ने आगे लिखा कि मेहनती लोग अपना भविष्य खुद लिखते हैं।"

बता दे कि अवनीश शरण खुद 44% अंकों के साथ दसवीं की परीक्षा पास किए थे। राज्य लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा भी दस प्रयासों में अवनीश शरण नहीं निकाल पाए थे। पर फिर जी तोड़ मेहनत कर यूपीएससी में 77 वीं रैंक ला वे आईएएस बने। आईएएस बनने के बाद में अक्सर सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से यूपीएससी अभ्यर्थियों को तैयारी करने हेतु मोटिवेट करते रहते हैं। बलरामपुर कलेक्टर रहते हुए सरकारी अस्पताल में अपनी पत्नी की डिलीवरी करवा और अपनी बच्ची को सरकारी स्कूल में एडमिशन दिलवा अवनीश शरण खूब चर्चित हुए थे।

विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने उन्हें बिलासपुर कलेक्टर बनाकर भेजा था। जिला निर्वाचन अधिकारी रहते हुए उन्होंने शांतिपूर्ण और निर्विवाद ढंग से चुनाव संपन्न करवाया। चुनाव के दौरान काफी मात्रा में अवैध रकम व चुनाव प्रभावित करने के लिए बंटने के लिए आए चुनाव सामग्रियों को कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर जप्त भी किया गया था। वे अब बिलासपुर में लोकसभा चुनाव भी संपन्न करवा रहे हैं।

Sandeep Kumar Kadukar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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